FD Scheme vs SIP: क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी मेहनत की कमाई सिर्फ बैंक में पड़ी रहे और आपको उसका फायदा न मिले? जी हां, हम बात कर रहे हैं फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की, जिसे भारत में ज्यादातर लोग सबसे सुरक्षित निवेश मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी FD पर लगने वाला टैक्स आपकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा खा सकता है? अगर आप भी उन लाखों लोगों में से एक हैं जिन्होंने अपने पैसे FD में लगा रखे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत जरूरी है।

इस आर्टिकल में हम आपको FD पर लगने वाले टैक्स के बारे में पूरी और सीधी जानकारी देंगे। साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि लंबे समय में पैसे बढ़ाने के मामले में SIP एक बेहतर ऑप्शन क्यों हो सकता है। हम आसान भाषा में हर पहलू पर बात करेंगे ताकि आप एक अच्छा फैसला ले सकें। इसलिए, अपनी आर्थिक भलाई के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

FD पर टैक्स का पूरा हिसाब: आपकी कमाई का कितना हिस्सा जाता है सरकार के पास?

आपको बता दें, FD पर जो ब्याज आप कमाते हैं, वह आपकी कुल आमदनी में जुड़ जाता है और उस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। मतलब, अगर आपकी सालाना आमदनी 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है, तो आपको FD के ब्याज पर भी टैक्स देना होगा।

TDS: वह टैक्स जो बैंक खुद काट लेता है

बैंक आपकी FD के ब्याज पर TDS (Tax Deducted at Source) भी काटता है। अगर एक साल में किसी एक बैंक में आपकी सभी FDs का कुल ब्याज 40,000 रुपये (सीनियर सिटिजन के लिए 50,000 रुपये) से ज्यादा हो जाता है, तो बैंक 10% TDS काटेगा। हालांकि, अगर आपकी कुल आमदनी टैक्स-फ्री स्लैब में आती है, तो आप फॉर्म 15G/15H जमा करके TDS से बच सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बहुत से लोग इस बारे में जानकारी न होने की वजह से गलत TDS का शिकार हो जाते हैं।

FD vs SIP: टैक्स के नजरिए से कौन सा है बेहतर?

टैक्स बचाने के मामले में SIP, FD के मुकाबले कहीं बेहतर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, एलटीसीजी (Long Term Capital Gains) के तहत, एक साल बाद शेयरों वाली म्यूचुअल फंड की SIP से होने वाली कमाई पर 10% टैक्स लगता है, और यह सिर्फ 1 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर ही लगता है। वहीं, FD के ब्याज पर आपकी आमदनी के हिसाब से 5% से 30% तक टैक्स लग सकता है, जो कि कहीं ज्यादा है।

कमाल का फायदा: कम्पाउंडिंग

सिर्फ टैक्स ही नहीं, बढ़ोतरी के मामले में भी SIP FD से आगे है। FD में ब्याज एक फिक्स्ड दर पर मिलता है, जबकि SIP मार्केट से जुड़ी होती है और कम्पाउंडिंग के जरिए आपके पैसे को तेजी से बढ़ने का मौका देती है। लंबे समय तक निवेश करने पर यह फर्क काफी बड़ा हो सकता है।

सुरक्षा का सवाल: क्या SIP FD जितनी सुरक्षित है?

जहां FD की सुरक्षा पर बैंक की गारंटी होती है, वहीं SIP मार्केट के रिस्क के साथ आती हैं। लेकिन, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स लंबे समय में (7-10 साल) अच्छा रिटर्न देने का ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं। रिस्क को कम करने के लिए आप SIP के जरिए लंबे समय तक निवेश कर सकते हैं, जिससे मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर कम हो जाता है।

अपनी जरूरत के हिसाब से चुनाव करें

आखिर में सब कुछ आपकी आर्थिक जरूरतों और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है।

  • छोटे समय के लक्ष्य और इमरजेंसी फंड: FD एक बेहतर ऑप्शन है क्योंकि इसमें पैसा सुरक्षित रहता है और जरूरत पड़ने पर निकाला जा सकता है।
  • लंबे समय के लक्ष्य (जैसे बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट): SIP एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है क्योंकि यह टैक्स में बचत के साथ-साथ इन्फ्लेशन से भी बेहतर सुरक्षा देती है।

सूत्रों के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अपने पोर्टफोलियो में FD की सुरक्षा और SIP की ग्रोथ दोनों को शामिल करना एक समझदारी भरा कदम है। इससे आप रिस्क को तो कम करेंगे ही, साथ ही अच्छा रिटर्न भी कमा सकेंगे। कोई भी फैसला लेने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।